बाबा रामसापीर व डालीबाई की समाधि गाथा
अमर होया जुग माय , सति सिद्ध गावं रुणिचै री पाल ।
धिन हो रामापीर , जियो जुग डालीबाई जयपाल ।।टेर।।
नित रा नेम डालीबाई वन मे , उभा टोगङियो लार ।
ज्यानै चारता आप साम्भलै , झालर री झणकार (1)
झालर ढोल नगारा सुणता , किन्हो सुगन विचार ।
के' कोई जानं चढै हद भारी , के' कोई जावे वार (2)
उणी ठोङ कोई ग्वालो दीसै , पूछै हैलो मार ।
ऐ ढोल कठीनै बाजै बीरा , कैवो नी समचार (3)
ग्वालो कैवै सुण बाई डाली , रुठ्यो पालणहार ।
आज रुणीचै रो राजवी , छोङ रैया सॅसार (4)
रामापीर री घोर खुदे है , रामसरोवरं पाल ।
इण विध विरह वियोग रा , ऐ गुन्ज रैया सुरताल (5)
इतरो सुण बाई डाली बोली , सुण गायो रा ग्वाल ।
म्हारा टोगङा थनै भलाऊ , रैईजै थू रखवाल (6)
ग्वालो कैवै ना बाई डाली , हू ऐकलो ग्वाल ।
गायो भैला टोगङिया , मै कंईया लैऊ सॅभाल (7)
डाली बोली जा रै बीरा , आछो कियो अहसाण ।
जै थू आज कैयो कर लैतो , तो करता सॅत बखाण(8)
टोगङियो रै हाथ फैर बाई , आसुङा ढलकायं ।
सोरा रैईजो गऊ रा जायो , फैर मिलुला नाय (9)
रैईजो अलख भरोसै वन मे , रैईजो सॅघ पिछाण ।
सांझ पङिया घर जावजो , नी रामापीर री आण (10)
इतरो कह बाई डाली जावै , रामसरोवरं पाल ।
जाय कैयो सुण वीर रामदै , ऐकर सामी भाल (11)
हरदम भैला भजन किया , कैई कीन्हा वचन विहार ।
आज डाली नै भूल परा , क्यो जावो हो भव पार (12)
सदा साथ मे जम्मा जगाया , पाठ धरम रा पूर ।
जमलै मे मिल बीणा बजाता , घुरता अनहदं तूर (13)
भैला रहता हैत हरख सू , अब क्यो जाओ दूर ।
थाॅ बिन म्हारी भगति सारी , होसी चकनाचूरं (14)
कहै रामदै सुण बाई डाली , ना मै थासू दूर ।
थाॅ बिन म्हारै नही उगता , हिरदै ग्यान अॅकूर (15)
निर्मल निरभै निकलॅक थारो , अदभुत है ओ नूर ।
अमर थारो नाम रैवैला , जब लग चन्दा सूर (16)
डाली कैवै ना ओ बीरा , म्हानै ना बिलमाय ।
था बिछङिया प्राण जावैला , घङी पलकं रै माय (17)
घोर खुदै सो म्हारी बीरा , थारी अवर खिणायं ।
जिवत समाधि लैसू इणमे , दैवो दया बगसाय (18)
आ काई बात करै बाई डाली , कैयो रामदै आप ।
म्हारै नाम री घोर खुदै , तू क्यो करै धणियाप (19)
भोली बाता मत कर बाई , दै वचना री छाप ।
बोलं वचन जै हार गयी तो , कलॅक लगै अणमाप (20)
भोली बाता नही कहू मै , भैदं कहू प्रमाणी ।
रति फरक ना आवै इणमे , ओलख जो सैनाणी (21)
पाटपिताम्बर खङाऊ शॅखझालर ,जै निकलै सैलाणी ।
तो लीजो आप समाधि उणमे , पारख सैगं सैनाणि(22)
आठी डोरा काॅगसी , जै निकलै प्रमाण ।
वोही समाधि म्हारी होवे , करल्यो खोदं पिछाण (23)
खोद्या खबर पङेला बीरा , होवेला ओलखाण ।
वचन भाख सिद्ध किया पलक मे , प्रगटिया प्रमाण(24)
आठी डोरा कागंसी , निकलिया सैलाण ।
परगट परचो देख रामसा - पीर अचम्भो आण (25)
रुणीचै रा नगर निवासी , उभा करै बखाण ।
धिन हो डाली बाई भला थे , परखाया प्रमाण (26)
रामापीर कैयो बाई डाली , धिन हो बारम्बार ।
थारी भगति रो बल भारी , तू सांची सचियार (27)
थारी माया काया रो , कोई पावेला नही पार ।
आज म्हानै खबर पङी , तू महा सति अवतार (28)
मां मंगनीदै आय डाली ने , हिवङै सू लिपटाय ।
पिता सायर जी आय धिया ने , चूनङली ओढायं (29)
बालपणै री सखियो सारी , झुरै झुरावो गाय ।
डालीबाई ने सीख दिरावै , ज्यू सासरै जाय (30)
मात पिता सू होय विदा बाई , बोलिया पैगाम ।
रिलमिल रीजो सगला जग मे , चोखा करजो काम (31)
भैदभाव कर मानवता ने , मत करजो बदनाम ।
हिन्दू - तुरक एक ही जाणो , एक ही अल्ला राम (32)
इतरो कह बाई डाली जावै , भोम समाधि माय ।
आसण धार अडिग हो बैठी , सुन्न मे सुरत समाय(33)
रामापीर जी दैवै समाधि , डाली भोम समाय ।
डाली रा जयकार गुॅजिया , दशु दिशा रै माय (34)
समाधि रा दर्शण सारु , भीङ लगी हद भारी ।
बाबो रामदै नैजा रोपिया , कर जुमलै री त्यारी (35)
बङा बङा कैई पीर पधारिया , ओर आया सिद्ध भारी ।
झालर शॅख नगाङा बाज्या , बाजी नोपत प्यारी (36)
धूप करण री वैला हुई , धूपो री महकारी ।
डालीबाई री होवे आरती , समाधि सिणगारी (37)
मुॅजो जी रिख पाठ पुरियो , बाबे थरपी झारी ।
रिखिया उभा चॅवर ढोलावे , डाली ने बलिहारी (38)
बाबा रामदे बीणो बजायो , छेङिया सुरताल ।
सभा जुङी हद भारी जमलै , मैलो भयो अपार (39)
ऐङो जम्मो होयो ना होसी , जग मे दूजी बार ।
चौबीस वाणी गायी रामदे , निज अणभै आधार (40)
वाणी बैखरी पार हुई जद , खोल्या मध्यमा द्वार ।
मध्यमा सू आय पश्यन्ति , किन्हो आप निहार (41)
परा वाणी मे आय पहूचिया , हद बैहद सू पार ।
इण विध जमलो आप जगायो , श्रीमुख वाणी सार(42)
वाणी वारता करी प्रेमं सू , बाबो सारी रात ।
घट घट माही किन्हो चान्दणो , मॅगल हुओ प्रभात (43)
प्रभातै री महा आरती , गायी सगला साथ ।
डालीबाई ने निवण करै , जोङ्या सगला हाथ (44)
साल बयालिस चवदासो री , सॅवत है प्रमाण ।
मासं भादवा नवमी सुद , डाली रो निर्वाण (45)
धिन हो डालीबाई - रामसा , पीर री अगवाण ।
मेघवॅशी रिख रामचन्द्र , कीन्ही कथा बखाण (46)
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( बाबे री समाधि )
भाग भला धिन गावं रुणिचै , रामसरोवरं पाल रा ।
लैवै समाधि रामदेव , सुत्त सायर जी जयपाल रा (टेर)
दशम री प्रभात रामदे , रिखियो ने फरमाय ।
घोर हमारी खोदो भायो , दैर लगाओ नाय ( 47)
डाली कारण एक दिवस रो , पायो मै विश्राम ।
आज म्हारा मान लिजो , थे आखरी सलाम (48)
इतरो सुण अजमाल मेणादे , आपो दीन्हो खोय ।
पिता सायर माॅ मॅगनीदे रा , पीन्जर घायल होय (49)
नैतलदे पङदे मे उबा , फूट फूट ने रोय ।
रुणीचै मे मातम छायो , रुदन करै हर कोय (50)
इतरो देख रामसा बोल्या , रुदन करो ना कोय ।
मॅगल गाओ मन समझाओ , होणी है सो होय (51)
राजी खुशी घोर खिणाओ , करो उदासी आगी ।
आज म्हानै भोम समाधि , लेवण री लिव लागी (52)
इतरो कह समझावण लाग्या , सुण लीज्यो नर नारी ।
जै थै मासू प्रीत करो तो , बात मानजो म्हारी (53)
निवत बुलाजो मेघरिखो ने , जम्मा जगाजो भारी ।
जमलै मे मिल भ्रांत भांगजो , सो ही प्रीत हमारी (54)
पायो पॅथ पीरानो मै , ध्यायो धरम निजारी ।
ज्यामे नूर समश गोसाई , सदरपीर महाभारी(55)
धिन हो मेघ महाधर्म ने , बारम्बार बलिहारी ।
सबका मालिक एक लखाया , सोही सीख हमारी (56)
पाखण्ड हिन्सा दूर भगाजो , बणजो साचं पुजारी ।
निर्मल हो निकलॅक ने ध्यावो , पावोला सुख भारी (57)
मात पिता गुरु दीन हीन रा , रैईजो सेवाधारी ।
इतरा दे उपदेश रामसा , घोर खिणाई सारी (58)
घोर खिणी जद पूरणं पाया , घोर मे सैलाणं ।
डालीबाई कह गिया सो - परगटिया प्रमाण (59)
परगट वै प्रमाण दैखने , किन्हो फेर बखाणं ।
हे महा सति सिद्ध डाली थारी , मोङी पङी पिछाण (60)
पङदे राखी भगति डाली , पङदै भली पकाई ।
पङदै मे प्रमाणिया , पङदे भली समाई (61)
कहै रामदै डालीबाई री , रैला ज्योत सवाई ।
मेघवॅश रो मान बढायो , धिन हो डालीबाई (62)
इतरो कह तुॅवर वॅश ने , फरमावे एक बात ।
लेऊ समाधि पाछै कोई , ना करजो उत्पात (63)
म्है तो जावा परम धाम , थै शॅको ना लाइजो ।
पीढी पीढी पीर होवेला , थे पद पीराई पाईजो (64)
इतरो कहता आप घोर मे , किन्हो है प्रवेश ।
लिवी समाधि रामदेवजी , भला दिया उपदेश (65)
गुन्जै है कण कणं मे बाबो , धिनं मरुधर रो देशं ।
कहै मेघ रिख रामचन्द्र , वे अमर हुआ दरवेश (66)
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( हङबू जी रो अणेसो )
हङबू जी सिद्ध साची कीन्ही , रामापीरं सू प्रीत ।
लिवी समाधि रामदेव जद , भली निभाई रीत (टेर)
गावं बेगठी माही हङबू , साॅखला सिरदार ।
वै सुगनो रा पारखी , सिद्ध हुआ सचियार (67)
घणा चावता रामदेव ने , राख स्नेही भाव ।
मिलता रामापीर सु - वै , हिवङै राख उमाव (68)
रामदेवजी लिवी समाधि , हो गिया भवपार ।
तिजोङे दिन हङबू जी ने , पूगिया समचार (69)
इतरो सुण हङबू जी चाल्या , होय गाडे असवार ।
जावता रुणीचै हङबू , किन्हा घणा विचार (70)
इणी मारगो माही बाबो , घोङलियो घुमावता ।
जद रामसापीर म्हारै , गाॅव बेगंठी आवता (71)
कदै रामसा इणी मारगो , सामी ही मिल जावता ।
हिवङै सू लिपटाय म्हानै , भाई कह बतलावता (72)
हर काम काज रै माही म्हानै , सन्देशो भिजवावता ।
क्यो म्हानै विसराया बाबो , समाधि लगावता (73)
समाधि री वैला बाबो , जै म्हानै बुलावता ।
तो आखरी वैला मे वारा , दरशणिया व्है जावता (74)
करै अणेसो भारी हङबू , आसुङा ढलकावता ।
विरह वियोगी होया हङबू , गाव रुणीचै जावता (75)
हङबू जी ने सदमो लाग्यो , ओरण माही आवता ।
बैचैतै विचार किन्हा , सुगनिया मनावता (76)
जोणे कोई पोङ बाजै , घुॅघरिया छमकावता ।
ओरण माही जोवण लाग्या , नैणो ने भुंवावता (77)
सुद्धी बुद्धी खोई सारी , इतरा वै चावता ।
मानस माही छाया बाबो , पचरॅगो लहरावता (78)
भावना सू बाबो दीसे , घोङलियो चरावता ।
गाडो रोक हङबूजी हेठा , उतरै हर्षावता (79)
जोणे बाबो बोलै उभा , मुखङो मुलकावता ।
साॅभलै हङबू जी उभा , उणियारो निहारता (80)
कहै रामदै आओ भाई , हङबू जी महाराजं ।
पवन वेग ज्यू गाडो लेय , किया पधारो आज (81)
थोरै नैणा माही हङबू , नीर ढलै किण काज ।
कह बतलाओ साची म्हानै , काई नैणा मे राजं (82)
हङबू बोल्या सुणो रामसा , धोखो होयो म्हानै ।
मै सुणियो थे रुणिचै मे , लीवी समाधि छाने (83)
कूङा वे समचार रामसा , होय गिया अब काने ।
हङबू रै जिव नेहचो होयो , देख रामसा थाने (84)
देख स्नेह सिद्ध हङबूजी रो , भली बन्धावे धीर ।
जाओ हङबू आप रुणीचै , रामसरोवरं तीर (85)
रामसरोवरं तीर माथै , बाजै बीणा मॅजीर ।
ओठे हॅशा हीर चुगै , अ'र - चालै सुधा समीर (86)
ओठे जा सगला ने दीजो , म्हारोङा जुहार ।
पीर फकीर सॅत मिलै तो , खम्मा घणी हजार (87)
इण विध उण सुरताई सू , हङबू करी हथाई ।
ऐङो मानस भयो दिवानो , वे जूनी प्रीत निभाई (88)
विरह वियोगी मानस काजं , हङबू रैया अजाण ।
रामदेव री वा सुरताई , पाया नही पिछाण (89)
हङबू जाणे रामदेव जी , नही पायो निर्वाण ।
जोण जीवता रामदेव ने , होग्या भरम अडाण (90)
राजी हो रुणीचै हङबू , जावे है तत्तकाल ।
जाय देखियो मेलो भारी , रामसरोवरं पाल (91)
तुॅवर सारा शोक मनावे , बेठा जाजम ढाल ।
झालर बीणा नगाङा बाजै , भजन करै जयपाल (92)
देख समाधि माथे मेलो , हङबू कहे सगला ने ।
सुण लीज्यो थे भाया म्हारी , साच कहु मै थानै (93)
ओरणं माही घोङ चराता , बाबो मिलिया म्हानै ।
घणी हथाई किन्ही म्हासु , दिया जुहारा थानै (94)
वात सुणी जद हङबू जी री , तुवरो किया विचार ।
घोर खिणाओ पाछी भायो , जद होवे ऐतबारं (95)
के' तो रामदेव जी झूठा , के' हङबूजी सिरदार ।
तुरन्त फैसलो होसी भायो , होवेला निस्तार (96)
इतरो सुणं जयपाल बोल्या , घोर उघाङो नाही ।
हङबू जी ने वहमं हुओ कोई , विरहं वेदना माही (97)
रिखिया थोने अर्ज करै थे , मति करो मुरखाई ।
क्यो भुलिया ठाकरो , थे - रामापीर सिद्धाई (98)
तुॅवर कहै रिखं अलगा रीजो , मति करो चतुराई ।
जाण लेवसा रामदेव री , कैङी है सिद्धाई (99)
लैय समाधि पाछै कॅईया , फिरै वनो रै माई ।
हर हाल माही घोर उघाङ , देखोला पीराई (100)
हाथो माही लिया पावङा , ओर लीवी हलबाणी ।
तहस नहस कर नाखी तुवरो , रामापीर निशाणी (101)
रिखिया बेबस उभा देखे , नैणो मे भर पाणी ।
उणी बखत सिद्ध रामदेव री , पङदे गूॅजी वाणी (102)
तुॅवरो थोने मना कियो पण , नही मान्या थे बात ।
बैरी जैङो काम कियो थे , कियो पीठ मे घात (103)
तुॅवर वॅश रै माही पीरो - वाली ना तकदीर ।
पेट गुजारो करता रैईजो , बोल्या रामापीरं (104)
हङबू जी रो दोश नही , वे साचा म्हारा सैण ।
प्रीत पुरबली कारणे , मै छायो वारै नैणं (105)
तुॅवरो थे विश्वासं गमायो , शब्दो रे सबूतो मे ।
हङबू जेङो स्नेहं भाव , ना पायो मै रजपूतो मे (106)
इतरो कह सिद्ध रामदेवं री , वाणी व्हेगी शान्त ।
तुवर पश्चातापं कियो , अ'र मेटी मोयली भ्रान्त (107)
पाछै घोर चिणाई तुरबत , पीरो री पहचोणं मे ।
मेघवॅशी रिख रामचन्द्र , गाया पद प्रमाण मे (108)
----------( इति श्री 108 मनका )----------
नित रा नेम डालीबाई वन मे , उभा टोगङियो लार ।
ज्यानै चारता आप साम्भलै , झालर री झणकार (1)
झालर ढोल नगारा सुणता , किन्हो सुगन विचार ।
के' कोई जानं चढै हद भारी , के' कोई जावे वार (2)
उणी ठोङ कोई ग्वालो दीसै , पूछै हैलो मार ।
ऐ ढोल कठीनै बाजै बीरा , कैवो नी समचार (3)
ग्वालो कैवै सुण बाई डाली , रुठ्यो पालणहार ।
आज रुणीचै रो राजवी , छोङ रैया सॅसार (4)
रामापीर री घोर खुदे है , रामसरोवरं पाल ।
इण विध विरह वियोग रा , ऐ गुन्ज रैया सुरताल (5)
इतरो सुण बाई डाली बोली , सुण गायो रा ग्वाल ।
म्हारा टोगङा थनै भलाऊ , रैईजै थू रखवाल (6)
ग्वालो कैवै ना बाई डाली , हू ऐकलो ग्वाल ।
गायो भैला टोगङिया , मै कंईया लैऊ सॅभाल (7)
डाली बोली जा रै बीरा , आछो कियो अहसाण ।
जै थू आज कैयो कर लैतो , तो करता सॅत बखाण(8)
टोगङियो रै हाथ फैर बाई , आसुङा ढलकायं ।
सोरा रैईजो गऊ रा जायो , फैर मिलुला नाय (9)
रैईजो अलख भरोसै वन मे , रैईजो सॅघ पिछाण ।
सांझ पङिया घर जावजो , नी रामापीर री आण (10)
इतरो कह बाई डाली जावै , रामसरोवरं पाल ।
जाय कैयो सुण वीर रामदै , ऐकर सामी भाल (11)
हरदम भैला भजन किया , कैई कीन्हा वचन विहार ।
आज डाली नै भूल परा , क्यो जावो हो भव पार (12)
सदा साथ मे जम्मा जगाया , पाठ धरम रा पूर ।
जमलै मे मिल बीणा बजाता , घुरता अनहदं तूर (13)
भैला रहता हैत हरख सू , अब क्यो जाओ दूर ।
थाॅ बिन म्हारी भगति सारी , होसी चकनाचूरं (14)
कहै रामदै सुण बाई डाली , ना मै थासू दूर ।
थाॅ बिन म्हारै नही उगता , हिरदै ग्यान अॅकूर (15)
निर्मल निरभै निकलॅक थारो , अदभुत है ओ नूर ।
अमर थारो नाम रैवैला , जब लग चन्दा सूर (16)
डाली कैवै ना ओ बीरा , म्हानै ना बिलमाय ।
था बिछङिया प्राण जावैला , घङी पलकं रै माय (17)
घोर खुदै सो म्हारी बीरा , थारी अवर खिणायं ।
जिवत समाधि लैसू इणमे , दैवो दया बगसाय (18)
आ काई बात करै बाई डाली , कैयो रामदै आप ।
म्हारै नाम री घोर खुदै , तू क्यो करै धणियाप (19)
भोली बाता मत कर बाई , दै वचना री छाप ।
बोलं वचन जै हार गयी तो , कलॅक लगै अणमाप (20)
भोली बाता नही कहू मै , भैदं कहू प्रमाणी ।
रति फरक ना आवै इणमे , ओलख जो सैनाणी (21)
पाटपिताम्बर खङाऊ शॅखझालर ,जै निकलै सैलाणी ।
तो लीजो आप समाधि उणमे , पारख सैगं सैनाणि(22)
आठी डोरा काॅगसी , जै निकलै प्रमाण ।
वोही समाधि म्हारी होवे , करल्यो खोदं पिछाण (23)
खोद्या खबर पङेला बीरा , होवेला ओलखाण ।
वचन भाख सिद्ध किया पलक मे , प्रगटिया प्रमाण(24)
आठी डोरा कागंसी , निकलिया सैलाण ।
परगट परचो देख रामसा - पीर अचम्भो आण (25)
रुणीचै रा नगर निवासी , उभा करै बखाण ।
धिन हो डाली बाई भला थे , परखाया प्रमाण (26)
रामापीर कैयो बाई डाली , धिन हो बारम्बार ।
थारी भगति रो बल भारी , तू सांची सचियार (27)
थारी माया काया रो , कोई पावेला नही पार ।
आज म्हानै खबर पङी , तू महा सति अवतार (28)
मां मंगनीदै आय डाली ने , हिवङै सू लिपटाय ।
पिता सायर जी आय धिया ने , चूनङली ओढायं (29)
बालपणै री सखियो सारी , झुरै झुरावो गाय ।
डालीबाई ने सीख दिरावै , ज्यू सासरै जाय (30)
मात पिता सू होय विदा बाई , बोलिया पैगाम ।
रिलमिल रीजो सगला जग मे , चोखा करजो काम (31)
भैदभाव कर मानवता ने , मत करजो बदनाम ।
हिन्दू - तुरक एक ही जाणो , एक ही अल्ला राम (32)
इतरो कह बाई डाली जावै , भोम समाधि माय ।
आसण धार अडिग हो बैठी , सुन्न मे सुरत समाय(33)
रामापीर जी दैवै समाधि , डाली भोम समाय ।
डाली रा जयकार गुॅजिया , दशु दिशा रै माय (34)
समाधि रा दर्शण सारु , भीङ लगी हद भारी ।
बाबो रामदै नैजा रोपिया , कर जुमलै री त्यारी (35)
बङा बङा कैई पीर पधारिया , ओर आया सिद्ध भारी ।
झालर शॅख नगाङा बाज्या , बाजी नोपत प्यारी (36)
धूप करण री वैला हुई , धूपो री महकारी ।
डालीबाई री होवे आरती , समाधि सिणगारी (37)
मुॅजो जी रिख पाठ पुरियो , बाबे थरपी झारी ।
रिखिया उभा चॅवर ढोलावे , डाली ने बलिहारी (38)
बाबा रामदे बीणो बजायो , छेङिया सुरताल ।
सभा जुङी हद भारी जमलै , मैलो भयो अपार (39)
ऐङो जम्मो होयो ना होसी , जग मे दूजी बार ।
चौबीस वाणी गायी रामदे , निज अणभै आधार (40)
वाणी बैखरी पार हुई जद , खोल्या मध्यमा द्वार ।
मध्यमा सू आय पश्यन्ति , किन्हो आप निहार (41)
परा वाणी मे आय पहूचिया , हद बैहद सू पार ।
इण विध जमलो आप जगायो , श्रीमुख वाणी सार(42)
वाणी वारता करी प्रेमं सू , बाबो सारी रात ।
घट घट माही किन्हो चान्दणो , मॅगल हुओ प्रभात (43)
प्रभातै री महा आरती , गायी सगला साथ ।
डालीबाई ने निवण करै , जोङ्या सगला हाथ (44)
साल बयालिस चवदासो री , सॅवत है प्रमाण ।
मासं भादवा नवमी सुद , डाली रो निर्वाण (45)
धिन हो डालीबाई - रामसा , पीर री अगवाण ।
मेघवॅशी रिख रामचन्द्र , कीन्ही कथा बखाण (46)
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( बाबे री समाधि )
भाग भला धिन गावं रुणिचै , रामसरोवरं पाल रा ।
लैवै समाधि रामदेव , सुत्त सायर जी जयपाल रा (टेर)
दशम री प्रभात रामदे , रिखियो ने फरमाय ।
घोर हमारी खोदो भायो , दैर लगाओ नाय ( 47)
डाली कारण एक दिवस रो , पायो मै विश्राम ।
आज म्हारा मान लिजो , थे आखरी सलाम (48)
इतरो सुण अजमाल मेणादे , आपो दीन्हो खोय ।
पिता सायर माॅ मॅगनीदे रा , पीन्जर घायल होय (49)
नैतलदे पङदे मे उबा , फूट फूट ने रोय ।
रुणीचै मे मातम छायो , रुदन करै हर कोय (50)
इतरो देख रामसा बोल्या , रुदन करो ना कोय ।
मॅगल गाओ मन समझाओ , होणी है सो होय (51)
राजी खुशी घोर खिणाओ , करो उदासी आगी ।
आज म्हानै भोम समाधि , लेवण री लिव लागी (52)
इतरो कह समझावण लाग्या , सुण लीज्यो नर नारी ।
जै थै मासू प्रीत करो तो , बात मानजो म्हारी (53)
निवत बुलाजो मेघरिखो ने , जम्मा जगाजो भारी ।
जमलै मे मिल भ्रांत भांगजो , सो ही प्रीत हमारी (54)
पायो पॅथ पीरानो मै , ध्यायो धरम निजारी ।
ज्यामे नूर समश गोसाई , सदरपीर महाभारी(55)
धिन हो मेघ महाधर्म ने , बारम्बार बलिहारी ।
सबका मालिक एक लखाया , सोही सीख हमारी (56)
पाखण्ड हिन्सा दूर भगाजो , बणजो साचं पुजारी ।
निर्मल हो निकलॅक ने ध्यावो , पावोला सुख भारी (57)
मात पिता गुरु दीन हीन रा , रैईजो सेवाधारी ।
इतरा दे उपदेश रामसा , घोर खिणाई सारी (58)
घोर खिणी जद पूरणं पाया , घोर मे सैलाणं ।
डालीबाई कह गिया सो - परगटिया प्रमाण (59)
परगट वै प्रमाण दैखने , किन्हो फेर बखाणं ।
हे महा सति सिद्ध डाली थारी , मोङी पङी पिछाण (60)
पङदे राखी भगति डाली , पङदै भली पकाई ।
पङदै मे प्रमाणिया , पङदे भली समाई (61)
कहै रामदै डालीबाई री , रैला ज्योत सवाई ।
मेघवॅश रो मान बढायो , धिन हो डालीबाई (62)
इतरो कह तुॅवर वॅश ने , फरमावे एक बात ।
लेऊ समाधि पाछै कोई , ना करजो उत्पात (63)
म्है तो जावा परम धाम , थै शॅको ना लाइजो ।
पीढी पीढी पीर होवेला , थे पद पीराई पाईजो (64)
इतरो कहता आप घोर मे , किन्हो है प्रवेश ।
लिवी समाधि रामदेवजी , भला दिया उपदेश (65)
गुन्जै है कण कणं मे बाबो , धिनं मरुधर रो देशं ।
कहै मेघ रिख रामचन्द्र , वे अमर हुआ दरवेश (66)
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( हङबू जी रो अणेसो )
हङबू जी सिद्ध साची कीन्ही , रामापीरं सू प्रीत ।
लिवी समाधि रामदेव जद , भली निभाई रीत (टेर)
गावं बेगठी माही हङबू , साॅखला सिरदार ।
वै सुगनो रा पारखी , सिद्ध हुआ सचियार (67)
घणा चावता रामदेव ने , राख स्नेही भाव ।
मिलता रामापीर सु - वै , हिवङै राख उमाव (68)
रामदेवजी लिवी समाधि , हो गिया भवपार ।
तिजोङे दिन हङबू जी ने , पूगिया समचार (69)
इतरो सुण हङबू जी चाल्या , होय गाडे असवार ।
जावता रुणीचै हङबू , किन्हा घणा विचार (70)
इणी मारगो माही बाबो , घोङलियो घुमावता ।
जद रामसापीर म्हारै , गाॅव बेगंठी आवता (71)
कदै रामसा इणी मारगो , सामी ही मिल जावता ।
हिवङै सू लिपटाय म्हानै , भाई कह बतलावता (72)
हर काम काज रै माही म्हानै , सन्देशो भिजवावता ।
क्यो म्हानै विसराया बाबो , समाधि लगावता (73)
समाधि री वैला बाबो , जै म्हानै बुलावता ।
तो आखरी वैला मे वारा , दरशणिया व्है जावता (74)
करै अणेसो भारी हङबू , आसुङा ढलकावता ।
विरह वियोगी होया हङबू , गाव रुणीचै जावता (75)
हङबू जी ने सदमो लाग्यो , ओरण माही आवता ।
बैचैतै विचार किन्हा , सुगनिया मनावता (76)
जोणे कोई पोङ बाजै , घुॅघरिया छमकावता ।
ओरण माही जोवण लाग्या , नैणो ने भुंवावता (77)
सुद्धी बुद्धी खोई सारी , इतरा वै चावता ।
मानस माही छाया बाबो , पचरॅगो लहरावता (78)
भावना सू बाबो दीसे , घोङलियो चरावता ।
गाडो रोक हङबूजी हेठा , उतरै हर्षावता (79)
जोणे बाबो बोलै उभा , मुखङो मुलकावता ।
साॅभलै हङबू जी उभा , उणियारो निहारता (80)
कहै रामदै आओ भाई , हङबू जी महाराजं ।
पवन वेग ज्यू गाडो लेय , किया पधारो आज (81)
थोरै नैणा माही हङबू , नीर ढलै किण काज ।
कह बतलाओ साची म्हानै , काई नैणा मे राजं (82)
हङबू बोल्या सुणो रामसा , धोखो होयो म्हानै ।
मै सुणियो थे रुणिचै मे , लीवी समाधि छाने (83)
कूङा वे समचार रामसा , होय गिया अब काने ।
हङबू रै जिव नेहचो होयो , देख रामसा थाने (84)
देख स्नेह सिद्ध हङबूजी रो , भली बन्धावे धीर ।
जाओ हङबू आप रुणीचै , रामसरोवरं तीर (85)
रामसरोवरं तीर माथै , बाजै बीणा मॅजीर ।
ओठे हॅशा हीर चुगै , अ'र - चालै सुधा समीर (86)
ओठे जा सगला ने दीजो , म्हारोङा जुहार ।
पीर फकीर सॅत मिलै तो , खम्मा घणी हजार (87)
इण विध उण सुरताई सू , हङबू करी हथाई ।
ऐङो मानस भयो दिवानो , वे जूनी प्रीत निभाई (88)
विरह वियोगी मानस काजं , हङबू रैया अजाण ।
रामदेव री वा सुरताई , पाया नही पिछाण (89)
हङबू जाणे रामदेव जी , नही पायो निर्वाण ।
जोण जीवता रामदेव ने , होग्या भरम अडाण (90)
राजी हो रुणीचै हङबू , जावे है तत्तकाल ।
जाय देखियो मेलो भारी , रामसरोवरं पाल (91)
तुॅवर सारा शोक मनावे , बेठा जाजम ढाल ।
झालर बीणा नगाङा बाजै , भजन करै जयपाल (92)
देख समाधि माथे मेलो , हङबू कहे सगला ने ।
सुण लीज्यो थे भाया म्हारी , साच कहु मै थानै (93)
ओरणं माही घोङ चराता , बाबो मिलिया म्हानै ।
घणी हथाई किन्ही म्हासु , दिया जुहारा थानै (94)
वात सुणी जद हङबू जी री , तुवरो किया विचार ।
घोर खिणाओ पाछी भायो , जद होवे ऐतबारं (95)
के' तो रामदेव जी झूठा , के' हङबूजी सिरदार ।
तुरन्त फैसलो होसी भायो , होवेला निस्तार (96)
इतरो सुणं जयपाल बोल्या , घोर उघाङो नाही ।
हङबू जी ने वहमं हुओ कोई , विरहं वेदना माही (97)
रिखिया थोने अर्ज करै थे , मति करो मुरखाई ।
क्यो भुलिया ठाकरो , थे - रामापीर सिद्धाई (98)
तुॅवर कहै रिखं अलगा रीजो , मति करो चतुराई ।
जाण लेवसा रामदेव री , कैङी है सिद्धाई (99)
लैय समाधि पाछै कॅईया , फिरै वनो रै माई ।
हर हाल माही घोर उघाङ , देखोला पीराई (100)
हाथो माही लिया पावङा , ओर लीवी हलबाणी ।
तहस नहस कर नाखी तुवरो , रामापीर निशाणी (101)
रिखिया बेबस उभा देखे , नैणो मे भर पाणी ।
उणी बखत सिद्ध रामदेव री , पङदे गूॅजी वाणी (102)
तुॅवरो थोने मना कियो पण , नही मान्या थे बात ।
बैरी जैङो काम कियो थे , कियो पीठ मे घात (103)
तुॅवर वॅश रै माही पीरो - वाली ना तकदीर ।
पेट गुजारो करता रैईजो , बोल्या रामापीरं (104)
हङबू जी रो दोश नही , वे साचा म्हारा सैण ।
प्रीत पुरबली कारणे , मै छायो वारै नैणं (105)
तुॅवरो थे विश्वासं गमायो , शब्दो रे सबूतो मे ।
हङबू जेङो स्नेहं भाव , ना पायो मै रजपूतो मे (106)
इतरो कह सिद्ध रामदेवं री , वाणी व्हेगी शान्त ।
तुवर पश्चातापं कियो , अ'र मेटी मोयली भ्रान्त (107)
पाछै घोर चिणाई तुरबत , पीरो री पहचोणं मे ।
मेघवॅशी रिख रामचन्द्र , गाया पद प्रमाण मे (108)
----------( इति श्री 108 मनका )----------
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