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शनिवार, 27 मई 2017

बाबा साहेब अपने अंतिम दिनो मे रोते हुए पाये गये

बाबासाहब अपने अन्तिम दिनो मेँ अकेले रोते हुऐ पाये गये।

बाबासाहेब अम्बेडकर को जब काका कालेलकर कमीशन 1953 मेँ मिलने के लिए गए, तब कमीशन का सवाल था कि, #आपने सारी जिन्दगी पिछङे वर्ग के उत्थान के लिए लगा दी। आपकी राय मेँ उनके लिए क्या किया जाना चाहिए?

 बाबासाहब ने जवाब दिया कि, अगर पिछङे वर्ग का ऊत्थान करना है तो इनके अन्दर बडे लोग पैदा करो।

काका कालेलकर यह बात समझ नही पाये। उन्होंने फिर सवाल किया " बङे लोगों से आपका क्या तात्पर्य है?"

बाबासाहब ने जवाब दिया कि, *अगर किसी समाज मेँ 10 डॉक्टर, 20 वकील और 30 इंजीनियर पैदा हो जाऐ, तो उस समाज की तरफ कोई आँख उठाकर भी देख नही सकता।

"इस वाकये के ठीक 3 वर्ष बाद 18 मार्च 1956 मेँ आगरा के रामलीला मैदान मेँ बोलते हुऐ

बाबासाहेब ने कहा "मुझे पढे लिखे लोगों ने धोखा दिया। मै समझता था कि ये लोग पढ लिखकर अपने समाज का नेतृत्व करेंगे मगर मैँ देख रहा हुँ कि, मेरे आस-पास बाबुओं की भीड़ खड़ी हो रही हैँ, जो अपना ही पेट पालने मे लगी है। "यही नहीँ, बाबासाहब अपने अन्तिम दिनों मे अकेले रोते हुऐ पाये गये। जब वे सोने की कोशिश करते थे, तो उन्हें नही आती थी।

अत्यधिक परेशान रहते थे। परेशान होकर उनके स्टेनो नानकचंद रत्तु ने बाबासाहब से सवाल पूछा कि, आप इतना परेशान क्योँ रहते है?

उनका जवाब था, "नानकचंद, ये जो तुम दिल्ली देख रहो हो; इस अकेली दिल्ली मे 10,000 कर्मचारी, अधिकारी यह केवल अनुसूचित जाति के है; जो कुछ साल पहले शून्य थे।
मैंने अपनी जिन्दगी का सब कुछ दांव पर लगा दिया, अपने लोगों में पढे लिखे लोग पैदा करने के लिए। क्योंकि मै समझता था कि, मै अकेला पढकर इतना काम कर सकता हूँ, अगर हमारे हजारो लोग पढ लिख जायेगे तो इस समाज मे कितना बङा परिवर्तन आयेगा। मगर नानकचंद, मै जब पुरे देश की तरफ निगाह डालता हूँ तो मुझे कोई ऐसा नौजवान नजर नहीँ आता है, जो मेरे कारवाँ को आगे ले जा सके।

अगर आप कुछ करना चाहते हो तो उसके लिए आगे आना होगा।
सब चाहते है भगत सिंह पैदा हों किन्तु मेरे घर नही पडोसी के घर में।

लेकिन हम अपने घर में भगत सिंह को पैदा ही नही खुद भगत सिंह बनना भी चाहते हैं।

 
तो आय हमारे साथ।
युवाओं को जगाना है, भारत देश बचाना है!!!
हम राजनीती करने नही, राजनीती बदलने आ रहे है।

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