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मंगलवार, 12 जुलाई 2016

एक थी डेल्टा -PART 4

एक थी डेल्टा -4 

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नोखा ,जिसे सन 1926 में बीकानेर स्टेट के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने स्थापित करवाया था .इतिहासकार ताराराम गौतम के अनुसार -" आजादी से पहले रियासतों के संघ के अध्यक्ष महाराजा गंगा सिंह थे. जिनका और बाबा साहब का गोल मेज कांफ्रेंस में मिलन हुआ. डॉ अम्बेडकर ने उनकी ओर से प्रीविपर्स और मुवावजे की पैरवी की थी. बाद में बीकानेर में उन के पुत्र ने डॉ अम्बेडकर की राजस्थान में पहली मूर्ति लगायी " . इन्ही बीकानेर नरेश गंगासिंह द्वारा स्थापित नोखा बीकानेर जिले का एक बड़ा व्यावसायिक केंद्र माना जाता है ,यहाँ का मोठ पूरे एशिया में प्रसिद्ध है तथा हल्की रजाईयां देश विदेश तक लोकप्रिय है .व्यापारिक केंद्र होने की वजह से नोखा को नोखा मंडी कहा जाता है .
व्यापार वाणिज्य के साथ साथ यहाँ पर शिक्षण संस्थाओं का कारोबार भी खूब फला फूला .व्यापारिक जमात के सियासती रसूख वाले लोगों ने शिक्षा के बड़े बड़े संस्थान खोल लिए .यही पर स्थित है श्री आदर्श सेवा संस्थान जिसके कई विद्यालय महाविद्यालय चलते है .दक्षिणपंथी राजनीतिक सामाजिक संस्था समूहों में उच्च स्तरीय दखल रखने वाले ईश्वर चंद वैद इसके अध्यक्ष है .कहा जाता है कि उनसे आरएसएस से लेकर भाजपा तक के लोग उनसे उपकृत होते रहते है .आदर्श सेवा संस्थान द्वारा वर्ष 2007 से श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय संचालित है .इसी आदर्श ( ? ) कहे जाने वाले कोलेज में महेन्द्राराम ने अपनी प्रतिभावान बेटी डेल्टा को शिक्षिका बनने भेजा .
एक आदर्श शिक्षिका बनने का सपना लिये डेल्टा वर्ष 2014 में इस संस्थान में आई .उसे यहाँ पढ़ते हुए दूसरा बरस चल रहा था .बेसिक स्कूल टीचर कोर्स की द्वितीय वर्ष की छात्रा डेल्टा श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में भी हर गतिविधि में आगे रहती थी .वह पढने में तो तेजतर्रार थी ही ,नृत्य ,खेलकूद ,गायन तथा पेंटिंग जैसी शिक्षणत्तर कार्यों में सदैव अग्रणी भूमिका निभाती थी .हरफनमौला स्वभाव की डेल्टा में अंहकार नहीं था .वह सहज ,सरल ओर साफ दिल की भावुक बालिका थी .सबसे मीठा बोलती थी ,लडाई झगडा किसी से भी नहीं अपने काम से काम रखनेवाली लड़की के रूप में उसकी छवि थी .
डेल्टा इसी महाविद्यालय द्वारा संचालित बालिका छात्रावास की आवासिनी थी .उसके सहज स्वाभाव का फायदा उठाते हुए हॉस्टल वार्डन द्वारा हॉस्टल की सफाई का काम भी अक्सर उससे कराया जाता था .डेल्टा ने कभी भी इस बात की शिकायत नहीं की .उसका लक्ष्य जल्दी जल्दी अपनी ट्रेनिंग पूरी कर शिक्षिका बनना था .
सब कुछ ठीक ही चल रहा था .मार्च में इस साल जब होली की छुट्टियाँ हुयी तो और छात्राओं की भांति डेल्टा भी अपने गाँव त्रिमोही गई .खूब आनन्द उल्लास के साथ अपने परिजनों ओर गाँव के लोगों के साथ होली मनाई ओर 28 मार्च को अपने पिता महेन्द्राराम के साथ वापस हॉस्टल लौट आई .
डेल्टा को दिन के ग्यारह बजे नोखा हॉस्टल में छोड़ कर महेन्द्राराम अपने घर के लिए रवाना हुए .शाम को घर पंहुचे .तभी उनके मोबाईल पर डेल्टा का रोते हुए फोन आया .उसने बताया कि आज हॉस्टल वार्डन प्रिया शुक्ला ने मुझे पीटीआई विजेन्द्रसिंह के कमरे में सफाई करने के लिए भेजा ,जहाँ पर विजेंद्र सिंह ने मेरे साथ ज्यादती की ओर धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो जान से मार डालूँगा .वह बहुत डरी हुई थी .यह सुनकर महेन्द्राराम सन्न रह गए .अभी अभी तो वो अपनी लाड़ली को हंसती मुस्कराती हॉस्टल छोड़कर आये ओर यह क्या हो गया ? जिस वार्डन के संरक्षण में उन्होंने अपनी बेटी रखी ,उसने ही उसकी आबरू तार तार करवा दी .महेन्द्राराम की हालत अजीब हो गयी ,उनके सोचने समझने की स्थिति ख़त्म हो रही थी ,उन्हें चक्कर आने लगे .किसी तरह खुद को संभाला ओर बिटिया को सांत्वना दी –बेटी मैं सुबह छुट्टी ले कर सीधा नोखा आ रहा हूँ,तुम डरना मत ,चिंता मत करना ,मैं सुबह स्कूल खुलते ही अवकाश लेकर रवाना हो जाऊंगा .
बेटी को तो उन्होंने दिलासा दे दिया पर खुद के मन को समझाना भारी हो रहा था .वो नहीं चाहते थे कि उनके परिजनों को इसकी भनक लगे ,इसलिए उनके सामने सामान्य होने की कोशिस करते रहे .रात भर नींद नहीं आई ,आँखों ही आँखों में पूरी रात गुजर गई .सुबह नोखा वापसी के लिए पैसों का इंतजाम किया ,स्कूल गए और सोचा कि आधे दिन का अवकाश लेकर निकल जाऊंगा ,ताकि घरवालों को भी शक ना हो और शाम होने से पहले ही बेटी तक पंहुचा भी जा सके .एक गरीब ग्रामीण कर्ज में दबे पिता के लिए किराये भाड़े की व्यवस्था भी कई बार पहाड़ लांघने जैसा दूभर काम हो जाता है .
खैर ,जाने के सारे इंतजाम हो चुके थे कि उनका फोन बजा ,नोखा थाने से फोन था .उन्हें जो सूचना दी गयी ,शायद ही कोई पिता हृदय को विदीर्ण करने वाले ऐसे शब्द सह सकें .उन्हें बताया गया कि -" आपकी पुत्री डेल्टा मृत अवस्था में कुंड में मिली है......".( जारी )
- भंवर मेघवंशी
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है ,सम्पर्क सूत्र – bhanwarmeghwanshi@gmail.com , व्हाट्सएप -9571047777 )


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