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सोमवार, 11 जुलाई 2016

एक थी डेल्टा –PART 3 , WRITER BHANWAR MEGHWANSHI

एक थी डेल्टा – 3
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7 मई 1999 को शिक्षक महेन्द्रा राम के घर जन्मी पुत्री का नाम डेल्टा रखा गया .त्रिमोही जैसे छोटे से गाँव के लिए यह नाम ही किसी अजूबे से कम नहीं था .यहाँ के अधिकांश लोगों में किसी ने भी अपनी पूरी ज़िन्दगी में ऐसा नाम सुना तक नहीं था .जो पढ़े लिखे है उन्होंने भी भूगोल की किताबों में डेल्टा के बारे में पढ़ा था ,लेकिन किसी का नाम डेल्टा ,यह तो अद्भुत ही बात थी .ऐसा नाम रखने के पीछे के अपने मंतव्य को प्रकट करते हुए महेन्द्रा राम मेघवाल बताते है कि – ‘ जिस तरह नदी अपने बहाव के इलाके में तमाम विशेषताएं छोड़ कर समंदर तक पंहुच कर मिट्टी को अनूठा सौन्दर्य प्रदान करती है ,जिसे डेल्टा कहा जाता है ,ठीक वैसे ही हमारे परिवार में पहली बेटी का आगमन हमारी जिंदगी को अद्भुत ख़ुशी और सुन्दरता देनेवाला था ,इसलिए मैंने उसका नाम डेल्टा रखा .मैं चाहता था कि मेरी बेटी लाखों में से एक हो ,उसका ऐसा नाम हो जो यहाँ पर किसी का नहीं है .” वाकई अद्वितीय नामकरण किया महेन्द्राराम ने अपनी लाड़ली बेटी का !
कहते है कि होनहार बिरवान के होत चीकने पात ,सो डेल्टा ने अपने होनहार होने को अपनी शैशवावस्था में ही साबित करना शुरू कर दिया .वह जब अपने पैरो पर खड़ी होने लगी तो उसके पांव संगीत की धुन पर थिरकने लगते थे .बचपन में जब अन्य बच्चे तुतला तुतला कर अपनी बात कहते है ,तब ही डेल्टा स्पष्ट और प्रभावी उच्चारण करने लगी .महेन्द्राराम को विश्वास हो गया कि उसकी बेटी अद्भुत प्रतिभा की धनी है .उन्होंने उसे अपने विद्यालय राजीव गाँधी पाठशाला जहाँ पर वे बतौर शिक्षक कार्यरत थे ,वहां साथ ले जाना शुरू कर दिया .प्राथमिक शाला में पढ़ते हुए डेल्टा ने मात्र पांच साल की उम्र में दूसरी कक्षा की छात्रा होते हुए राष्ट्रिय पर्व पर आत्मविश्वास से लबरेज़ अपना पहला भाषण दे कर सबको आश्चर्यचकित कर डाला .जब वह चौथी कक्षा में पढ़ रही थी तो उसने रेगिस्तान का जहाज़ नामक एक चित्र बनाया ,जो राज्य स्तर पर चर्चित हो कर आज भी जयपुर स्थित शासन सचिवालय की दीवार की शोभा बढ़ा रहा है .मात्र आठ वर्ष की उम्र में डेल्टा ने फर्राटेदार अंग्रेजी में एक स्पीच दे कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया .
डेल्टा ने अपनी पांचवी तक की पढाई अपने ही गाँव त्रिमोही की राजीव गाँधी स्वर्णजयंती पाठशाला में की ,यहाँ पर वो हर प्रतियोगिता में अव्वल रही .आठवी पढने के लिए वह त्रिमोही से दो किलोमीटर दूर गडरा रोड में स्थित आदर्श विद्या मंदिर गयी .यहाँ भी हर गतिविधि और पढाई में वह आगेवान बनी . मेट्रिक की पढाई राजकीय बालिका माध्यमिक विध्यालय गडरा रोड से पूरी करके उसने सीनियर की शिक्षा स्वर्गीय तेजुराम स्वतंत्रता सेनानी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से प्राप्त की .यह सब उसने मात्र पंद्रह साल की आयु में ही कर दिखाया .
बहुमुखी प्रतिभासंपन्न डेल्टा सदैव अव्वल रहने वाली विद्यार्थी तो थी ही ,वह बहुत अच्छी गायिका भी थी ,उसके गाये भजनों की स्वर लहरियां श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किये देती थी .बचपन में ही उसके हाथों ने कुंची थाम ली थी ,वह किसी सधे हुए चित्रकार की भांति चित्रकारी करती थी .साथ ही साथ वह बहुत बढ़िया नृत्य भी करती थी .वह स्काऊट की लीडर भी थी और स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस की परेड्स का भी नेतृत्व करती थी .
मात्र पांच साल की उम्र में मंच पर भाषण ,छह साल की उम्र में राज्य स्तरीय चित्रकारी ,आठ साल में इंग्लिश स्पीच ,दस साल की उम्र में परेड का नेतृत्व और पंद्रह साल की होते होते बारहवी कक्षा उत्तीर्ण करनेवाली डेल्टा हर दिल अज़ीज़ बन चुकी थी .वह इस इलाके की अध्ययनरत अन्य छात्राओं के लिए भी एक आदर्श बन गयी थी .त्रिमोही के हर अभिभावक की ख्वाहिश थी कि उनकी बेटी भी डेल्टा जैसी होनहार बन कर गाँव और परिवार का नाम रोशन करें .
आत्मविश्वास से भरी डेल्टा अपने प्रिय पिता और परिजनों के स्वप्नों को साकार करना चाहती थी ,वह आईपीएस बनने के अपने पिता के सपने को पूरा करना चाहती थी ,लेकिन वो जानती थी कि उसके पिता महेन्द्राराम कितनी मुश्किलों से उसे और अन्य भाई बहनों को पढ़ा रहे थे ,इसलिए वह जल्दी से जल्दी अपने पैरों पर खड़े होना चाहती थी ,ताकि पिता पर भार कम हो .उसने शिक्षिका बनने का संकल्प लिया और जयनारायण व्यास विश्वविध्यालय द्वारा आयोजित बेसिक स्कूल टीचर कोर्स की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो गयी ,यहाँ भी उसने अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े ,उसने छह सौ अंको वाली यह परीक्षा चार सौ उनसत्तर अंको से पास कर ली .शुरुआत में उसे जैसलमेर सेंटर मिला ,जहाँ वह चार दिन रही भी ,लेकिन वहां का माहौल ठीक नहीं होने से वह घर लौट आई . बाद में नोखा स्थित श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय को सही जानकर उसे मात्र पंद्रह साल की आयु में सन 2014 में बीकानेर जिले के नोखा पढ़ने के लिये भेज दिया गया . जी हाँ उसी नोखा में ......( जारी )
- भंवर मेघवंशी
( स्वतन्त्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता , सम्पर्कसूत्र- bhanwarmeghwanshi@gmail.com ,व्हाट्सएप- 9571047777 )

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