पाली जिले के घेनड़ी गांव में एक रिवाज वर्षों से चला आ रहा है कि राजपुरोहितों के मोहल्ले में धूलंडी के दिन होली की गेर खेली जाती है जिसमें दलितों का शामिल होना मना है जबकि सार्वजनिक स्थान पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
दिनांक 24 मार्च को धूलंडी वाले दिन हर वर्ष की भांति राजपुरोहित समाज के लोग होली की गेर खेल रहे थे जिनमें पुलिस की भी डियुटी लगी हुई थी,उसी दौरान मेघवाल समाज के पताराम मेघवाल का 19 वर्षीय बेटा राजू मोटर साइकिल लेकर गांव की किराना दुकान से कुछ सामान लेने गया तो जाते समय तो वह साइड से चला गया लेकिन जब सामान लेकर वापिस आया तो राजपुरोहितों ने पूरा रास्ता रोक रखा था,वे लोग रास्ते में खड़े हो कर गेर खेल रहे थे,राजू कुछ देर तो रास्ता खाली होने का इन्तजार करता रहा, लेकिन काफी देर तक भी रास्ता खाली नहीं किया तो राजू मोटर साइकिल का होर्न लगाकर निकलने की कोशिश करने लगा ,ऐसा करना राजपुरोहितों को नागवार गुजरा और वे राजू मेघवाल पर टूट पड़े ,उसको बेरहमी से पीटा गया और खूब जमकर गालियां दी गई व कहने लगे कि साले ढ़ेढ़ तेरे को मालूम नहीं कि ब्रामण समाज होली खेल रहा है यहाँ तुम नीच लोगों का आना मना है।
जब उस दलित युवक को राजपुरोहित समाज के लोग पीट रहे थे तब पुलिस वाले मुकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे थे।
जब इस घटना की जानकारी मेघवाल समाज तक पहुँची तो कुछ युवा दौड़कर वहाँ पहुँचे और राजू मेघवाल को अपने घर लेकर चले गये।
उसी दिन शाम को राजपुरोहितों ने एक मीटिंग बुलाई एवं उसमें यह बात रखी गई की मेघवालों की हिम्मत बढ़ने लगी है जिसके चलते वे अपने समाज की गेर में भी घुसने लगे हैं अतः उनको सबक सिखाना बहुत जरूरी है।
उन्होने अपनी गुप्त योजना बनाई और रात को करीब 11 बजे लगभग 300 राजपुरोहितों ने अचानक से दलितों की बस्ती पर धावा बोल दिया एवं घरों के दरवाजे तौड़ने लगे,पत्थरों की बरसात शुरू करदी एवं मारपीट एवं तौड़फोड़ करना शुरू कर दिया साथ ही मेघवाल समाज की महिलाओं के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें की ,जिनको लिखकर बताना उचित नहीं लगता है।
घटना के विरोध में दिनांक 26 मार्च को पाली कलेक्ट्रेट के सामने सैंकड़ो लोग मेघवाल समाज के एवं अन्य अनुसूचित जातियों के लोग एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन किया जिसमें विभिन्न अम्बेडकरवादी संगठनों ने भाग लिया जिसमें समता सैनिक दल,बामसेफ,दलित अधिकार मंच के अलावा भी कई संगठन शामिल थे।
सभी की सहमति से घेनड़ी काण्ड संघर्ष समिति बनाई गई है जिसमें निर्णय लिया गया है कि जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है एवं खिवांड़ा थाने के स्टाफ को निलंबित नहीं किया जाता है तब तक धरना जारी रहेगा।
अभी भी बहुत सारे पुरुष एवं महिलाएं धरना स्थल पर डटे हुए हैं।
स्थिति तनावपूर्ण है एवं दुख की बात यह कि करीब दस मेघवाल अस्पताल में जीवन और मौत से लड़ रहे हैं।
एक अफसोस की बात यह कि पाली जिला ककलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने ज्ञापन लेना भी उचित नहीं समझा, बहाना बना दिया कि हम तो पाली से बाहर हैं।
इस मामले ने डांगावास काण्ड को ताजा कर दिया है।
जो भी बुद्धिवान इस पोस्ट को पढ़ता है तो उसकी जिम्मेदारी बनती है कि इसको पूरे समाज तक पहुंचाने का कष्ट करे और अपने स्तर पर जो भी बनता है उसे करने का प्रयास करे।
समाज की काफी महिलाएं एवं पुरुष पाली कोर्ट के सामने सड़क किनारे बैठे हुए हैं और पूरे समाज की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं कि शायद हमारा समाज हमारे लिए जरूर कुछ करेगा।
अब फैसला आपको लेना है कि आप समाज के लिए कुछ करेंगे या घटना को सामान्य घटना समझकर चुप रहेंगे।
जय भीम जय भारत,
दिनांक 24 मार्च को धूलंडी वाले दिन हर वर्ष की भांति राजपुरोहित समाज के लोग होली की गेर खेल रहे थे जिनमें पुलिस की भी डियुटी लगी हुई थी,उसी दौरान मेघवाल समाज के पताराम मेघवाल का 19 वर्षीय बेटा राजू मोटर साइकिल लेकर गांव की किराना दुकान से कुछ सामान लेने गया तो जाते समय तो वह साइड से चला गया लेकिन जब सामान लेकर वापिस आया तो राजपुरोहितों ने पूरा रास्ता रोक रखा था,वे लोग रास्ते में खड़े हो कर गेर खेल रहे थे,राजू कुछ देर तो रास्ता खाली होने का इन्तजार करता रहा, लेकिन काफी देर तक भी रास्ता खाली नहीं किया तो राजू मोटर साइकिल का होर्न लगाकर निकलने की कोशिश करने लगा ,ऐसा करना राजपुरोहितों को नागवार गुजरा और वे राजू मेघवाल पर टूट पड़े ,उसको बेरहमी से पीटा गया और खूब जमकर गालियां दी गई व कहने लगे कि साले ढ़ेढ़ तेरे को मालूम नहीं कि ब्रामण समाज होली खेल रहा है यहाँ तुम नीच लोगों का आना मना है।
जब उस दलित युवक को राजपुरोहित समाज के लोग पीट रहे थे तब पुलिस वाले मुकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे थे।
जब इस घटना की जानकारी मेघवाल समाज तक पहुँची तो कुछ युवा दौड़कर वहाँ पहुँचे और राजू मेघवाल को अपने घर लेकर चले गये।
उसी दिन शाम को राजपुरोहितों ने एक मीटिंग बुलाई एवं उसमें यह बात रखी गई की मेघवालों की हिम्मत बढ़ने लगी है जिसके चलते वे अपने समाज की गेर में भी घुसने लगे हैं अतः उनको सबक सिखाना बहुत जरूरी है।
उन्होने अपनी गुप्त योजना बनाई और रात को करीब 11 बजे लगभग 300 राजपुरोहितों ने अचानक से दलितों की बस्ती पर धावा बोल दिया एवं घरों के दरवाजे तौड़ने लगे,पत्थरों की बरसात शुरू करदी एवं मारपीट एवं तौड़फोड़ करना शुरू कर दिया साथ ही मेघवाल समाज की महिलाओं के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें की ,जिनको लिखकर बताना उचित नहीं लगता है।
घटना के विरोध में दिनांक 26 मार्च को पाली कलेक्ट्रेट के सामने सैंकड़ो लोग मेघवाल समाज के एवं अन्य अनुसूचित जातियों के लोग एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन किया जिसमें विभिन्न अम्बेडकरवादी संगठनों ने भाग लिया जिसमें समता सैनिक दल,बामसेफ,दलित अधिकार मंच के अलावा भी कई संगठन शामिल थे।
सभी की सहमति से घेनड़ी काण्ड संघर्ष समिति बनाई गई है जिसमें निर्णय लिया गया है कि जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है एवं खिवांड़ा थाने के स्टाफ को निलंबित नहीं किया जाता है तब तक धरना जारी रहेगा।
अभी भी बहुत सारे पुरुष एवं महिलाएं धरना स्थल पर डटे हुए हैं।
स्थिति तनावपूर्ण है एवं दुख की बात यह कि करीब दस मेघवाल अस्पताल में जीवन और मौत से लड़ रहे हैं।
एक अफसोस की बात यह कि पाली जिला ककलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने ज्ञापन लेना भी उचित नहीं समझा, बहाना बना दिया कि हम तो पाली से बाहर हैं।
इस मामले ने डांगावास काण्ड को ताजा कर दिया है।
जो भी बुद्धिवान इस पोस्ट को पढ़ता है तो उसकी जिम्मेदारी बनती है कि इसको पूरे समाज तक पहुंचाने का कष्ट करे और अपने स्तर पर जो भी बनता है उसे करने का प्रयास करे।
समाज की काफी महिलाएं एवं पुरुष पाली कोर्ट के सामने सड़क किनारे बैठे हुए हैं और पूरे समाज की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं कि शायद हमारा समाज हमारे लिए जरूर कुछ करेगा।
अब फैसला आपको लेना है कि आप समाज के लिए कुछ करेंगे या घटना को सामान्य घटना समझकर चुप रहेंगे।
जय भीम जय भारत,
ये ठिक नही हुआ
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