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गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

दलितों के धार्मिक स्थल काशी-अयोध्या नहीं, उनके भगवान केवल अंबेडकर हैं - बहन मायावती जी

लखनऊ: बीएसपी ने अंबेडकर जयंति के मौके पर लखनऊ में एक भव्य समारोह कर चुनावी बिगुल फूंका। इस मौके पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि अयोध्या और काशी दलितों के तीर्थ स्थल नहीं हैं। उनका असली तीर्थ स्थान लखनऊ है। और उनके भगवान बाबा साहब हैं। अल्पसंख्यकों को भी जो सुविधाएं और अधिकार मिले हैं वे भी बाबा साहब की ही देन हैं, किसी और भगवान की नहीं।
मायावती ने कहा कि बीजेपी और उसके संगठनों ने कभी बीफ, लव जेहाद तो कभी राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे उठाकर जनता का ध्यान भटकाया। केंद्र की एनडीए सरकार की कमियों को छुपाने के लिए ही ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं। सभी मुद्दों में विफल होने पर ये लोग अयोध्या में राम मदिर का मुद्दा फिर से उठाने की कोशिश करेंगे। लेकिन जनता अब इनके बहकावे में जाने वाली नहीं।
मायावती ने कहा, सपा का 2016 तो जनता को बिल्कुल राहत देने वाला नहीं होगा। आखिरी वर्ष में पूरा ध्यान लूटने पर ज्यादा रहेगा। वोटों को भुनाने के लिए शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम ही होंगे। लेकिन इस पर हमारी पार्टी की नजर रहेगी। जो भी आर्थिक फैसले सरकार लेगी, हमारी सरकार में उसकी समीक्षा की जाएगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मायावती ने जेएनयू मुद्दे पर कहा कि कन्हैया कुमार दलित नहीं, बल्कि भूमिहार है। वह वामपंथी है और आज भी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम कर रहा है। वामपंथ और बाबा साहब के विचारों में बहुत अंतर है। वामपंथ आर्थिक बराबरी की बात करता है और बाबा साहब का विचार सामाजिक बराबरी का था।
आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में ताजी याचिका दाखिल होने पर उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की साजिश है। वही मामले को इतने साल लटकाती रही। याचिका दाखिल करने वाला कमलेश वर्मा कांग्रेसी है। इससे पहले मेरे खिलाफ कांग्रेस ने उसे चुनाव भी लड़ाया था। उन्होंने कहा कि इस तरह के दबावों से मैँ झुकने वाली नहीं।
जेएनयू मुद्दे पर मायावती ने कहा कि रोहित वेमुला मुद्दे पर कांग्रेस के युवराज झूठी संवेदना दिखा रहे हैं। हकीकत यह है कि वहां दलितों का उत्पीड़न लंबे समय से हो रहा था। कांग्रेस के समय में भी आठ-नौ दलित छात्र आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन उन्हें दबा दिया गया। राहुल आज उनकी तुलना बाबा साहब अंबेडकर से कर रहे हैं। अंबेडकर की तुलना नेल्सन मंडेला से ही हो सकती है। हां यह ठीक है कि वेमुला भी अंबेडकर के अनुयायी हैं।
मायावती ने अपनी प्रतिमा लगाए जाने पर सफाई दी कि इसका विरोध करने वाले कांशीराम जी की भावना का अपमान कर रहे हैं। कांशीराम जी आधुनिक सोच के थे। उन्होंने ही जीते जी अपनी प्रतिमा लगाने के लिए कहा था। तब सत्ता में न रहते हुए प्रेरणा स्थल पर प्रतिमा लगाई। कांशीराम जी ने ही कहा था कि तुमने अंबेडकर को और मुझे सम्मान दिया। मैं चाहता हूं कि मेरे साथ तुम्हारी प्रतिमा भी लगे। उन्होंने अपनी लिखित वसीयत में मुझे अपना उत्तराधिकारी बताते हुए साथ प्रतिमा लगाने की बात कही है।
मायावती ने यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य पर कहा कि वह आरएसएस और बीजेपी के हैं। वह दलितों और पिछड़ों के लिए कुछ नहीं कर सकते। वह जातिवादी और सांप्रदायिक आरएसएस के बंधुवा मजदूर की तरह ही काम करेंगे।

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